वचन किसे कहते है किसी वस्तु , व्यक्ति की संख्या का बोध कराने का कार्य वचन के द्वारा किया जाता है। वचन व्याकरण का एक अंग है जो आरंभिक शिक्षा से लेकर प्रतियोगी परीक्षा तक के प्रश्नों में शामिल होता है। यह लेख सभी प्रकार के विद्यार्थियों के लिए लाभकारी है। इस लेख के माध्यम से वचन किसे कहते हैं ? भेद , परिभाषा , अंग आदि का विस्तार से अध्ययन करेंगे। हिंदी व्याकरण में वचन का बहुत महत्व होता है। बाकी भाषाओं की तरह हिंदी में भी वचन का अच्छा खासा महत्व है। वचन में जरा सी गड़बड़ी होने से भी पूरा वाक्य अजीब सा लगने लगता है। तो आज हम वचन के बारे में सभी जानकारी आपको दे रहे है।
वचन किसे कहते है
शब्द के जिस रूप से संज्ञा के एक या अधिक(अनेक) होने का पता चले, उसे वचन कहते है।
गाय घास चर रही है। लड़के फुटबाल खेल रहे है।
चिड़िया उड़ रही है। बच्चे पतंग उड़ा रहे है।
उपर्युक्त वाक्यों में गाय व चिड़िया शब्द एक संख्या का बोध करा रहे है जबकि लड़के व बच्चे एक से ज्यादा संख्या का बोध करा रहे है। एक या अधिक का बोध कराने वाले इन्ही शब्दों को वचन कहते है।
वचन के भेद
वचन के दो भेद होते है
- एकवचन
- बहुवचन
एकवचन किसे कहते है
किसी एक वस्तु या प्राणी को प्रकट करने वाले संज्ञा शब्द एकवचन कहलाते है; जैसे – पुस्तक, दिन, शेर, बच्चा, विदयालय आदि।
बहुवचन किसे कहते है
एक से अधिक वस्तुओ या प्राणियों को प्रकट करने वाले शब्द बहुवचन कहलाते है; जैसे – पुस्तके, दिनों, शेरो, बच्चे, विदयालयों आदि।
वचन बदलने के नियम
‘अ’ का एँ बनाकर
एकवचन | बहुवचन |
भेड़ | भेड़ें |
रात | रातें |
गाय | गाएँ |
मेज | मेजें |
पुस्तक | पुस्तकें |
बहन | बहनें |
बात | बातें |
बत्तख | बत्तखें |
आँख | आँखें |
‘आ’ का ‘ए’ बनाकर
एकवचन | बहुवचन |
बच्चा | बच्चे |
छाता | छाते |
घोड़ा | घोड़े |
बेटा | बेटे |
कपड़ा | कपड़े |
गधा | गधे |
बूढ़ा | बूढ़े |
नाला | नाले |
लड़का | लड़के |
‘आ’ में ‘एँ’ जोड़कर
एकवचन | बहुवचन |
सभा | सभाएँ |
क्रीड़ा | क्रीड़ाएँ |
माला | मालाएँ |
महिला | महिलाएँ |
माता | माताएँ |
कथा | कथाएँ |
‘इ’ या ‘ई’ में ‘याँ’ जोड़कर
एकवचन | बहुवचन |
रोशनी | रोशनियाँ |
स्त्री | स्त्रियाँ |
सखी | सखियाँ |
देवी | देवियाँ |
रीती | रीतियाँ |
मिठाई | मिठाइयाँ |
पुत्री | पुत्रियाँ |
विधि | विधियाँ |
दवाई | दवाइयाँ |
‘उ’, ‘ऊ’ या ‘औ’ में ‘एँ’ जोड़कर
एकवचन | बहुवचन |
वधू | वधुएँ |
वस्तु | वस्तुएँ |
ऋतु | ऋतुएँ |
धेनू | धेनुएँ |
गौ | गौएँ |
बहू | बहुएँ |
‘या’ का ‘याँ’ बनाकर
एकवचन | बहुवचन |
डिबिया | डिबियाँ |
गुड़िया | गुड़ियाँ |
चुहिया | चुहियाँ |
टोपी | टोपियाँ |
चिड़िया | चिड़ियाँ |
नदी | नदियाँ |
कुछ शब्दों के बहुवचन मूल शब्द में गण, वर्ग या लोग जोड़कर भी बनाए जाते है।
एकवचन | बहुवचन |
वक्ता | वक्तागण |
आप | आप लोग |
तुम | तुम लोग |
कवि | कविगण |
युवा | युवावर्ग |
दर्शक | दर्शकगण |
कुछ शब्द ऐसे होते है जिनका वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदलता, परंतु उनके साथ विभक्ति चिहन लगाकर वचन बदलने पर उनका रूप बदल जाता है; जैसे –
संत तपस्या कर रहा है। ——– संत तपस्या कर रहे है। ] यहाँ संत शब्द का वचन बदलने पर भी रूप नहीं बदला है।
संत ने तपस्या की। ———- संतो ने तपस्या की। ] यहाँ संत शब्द के साथ ‘ने’ विभक्ति चिहन लगाकर संत शब्द का वचन बदलने पर संत शब्द का रूप भी बदल गया है।
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