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कारक किसे कहते है इसके कितने भेद है और उदाहरण

कारक किसे कहते है संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध क्रिया से जाना जाए, उसे कारक कहते है।

निम्नलिखित वाक्यों को पढ़े एवं समझे –

राम रावण मारा।                     माँ चाकू फल काट रही है

उपर्युक्त वाक्यों को ध्यान से पढ़े आपको इन वाक्यों में कुछ ऐसी कमी नजर आ रही होगी, जिसमे आपको वाक्य के पदों का संबंध क्रिया से जुड़ता हुआ दिखाई नहीं देता। यदि इन वाक्यों को इस तरह लिखा जाए।

राम ने रावण को मारा।       माँ चाकू से सब्जी काट रही है

तो पदों के बीच में प्रयोग हुए चिहनो ‘ने’ , ‘को’‘से’ के कारण अब आपको वाक्य के पदों का संबंध न केवल क्रिया से जुड़ा दिखाई देगा अपितु वाक्य का अर्थ भी अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा। क्रिया से वाक्य के अन्य पदों का संबंध जोड़ने वाले ये चिहन ही कारक कहलाते है। इन्हे परसर्ग और विभक्ति चिहन भी कहा जाता है।

कारक के चिन्ह

कारक के आठ भेद हैं, और उन सभी भेदों के अलग-अलग चिन्ह हैं। जो वाक्यों में प्रयोग होते हैं। तो नीचे हम आपको कारक के भेदों के चिन्हे बता रहे हैं।

  • कर्ता –    ने
  • कर्म –   को
  • करण –   से (द्वारा)
  • संप्रदान–     के लिए
  • अपादान –  से
  • सम्बन्ध –  का, की, के
  • अधिकरण –   में, पर
  • सम्बोधन –  हे, अरे

कारक के भेद

कारक के आठ भेद है

  1. कर्ता कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक
  4. संप्रदान कारक
  5. अपादान कारक
  6. संबंध कारक
  7. अधिकरण कारक
  8. संबोधन कारक

कर्ता कारक किसे कहते है

कर्ता का अर्थ है- करने वाला। शब्द के जिस रूप से कार्य करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते है। कर्ता कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘ने’ है, किन्तु ‘ने’ का प्रयोग केवल भूतकाल की सकर्मक क्रियाओ के साथ होता है।

जैसे- सीमा ने खाना खाया।       किसानो ने धरना दिया।

वर्तमान और भविष्यतकाल में प्राय: ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग नहीं होता; जैसे –

बच्चा हँसता है।

यहाँ बच्चे के हँसने की क्रिया बच्चा (कर्ता) द्वारा हो रही है।

कर्ता कारक की पहचान के लिए किसने अथवा कौन प्रश्नो का वाक्यों में प्रयोग करके उत्त्तर पाए जाते है; जैसे- 

प्रश्न- किसने आम खाया?     प्रश्न- कौन हँस रहा है?

उत्तर- सीमा                उत्तर- बच्चा।

कर्म कारक किसे कहते है

वाक्य में शब्द के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़े, इसे कर्म कारक कहते है। कर्म कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘को’ है।

जैसे – माँ बच्चे को प्यार करती है।                     अध्यापक रवि को हिंदी पढ़ाता है।                    गाय ने रोटी खा ली।

इन वाक्यों में बच्चे, रवि, रोटी आदि शब्द कर्मकारक है। तीसरे वाक्य में ‘को’ कारक का प्रयोग नहीं हुआ है, परंतु यहाँ क्या, किसको आदि प्रश्नो के उत्तर मिल रहे है; जैसे – गाय क्या खा रही है?       उत्तर-  रोटी

करण कारक किसे कहते है

करण का शाब्दिक अर्थ है – साधन या माध्यम। कर्ता जिस साधन या माध्यम द्वारा काम करता है, उसे करण कारक कहते है। करण कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘से’ है।

जैसे- चाचा जी कार से मथुरा गए।                    वह पेन से लिखता है।                          माली खुरपी से घास खोद रहा है।

इन सभी वाक्यों में कार, पेन, खुरपी साधन है जिसके द्वारा क्रियाएँ संपन्न हुई। इसलिए ये करण कारक है।

संप्रदान कारक किसे कहते है

संप्रदान का अर्थ होता है किसी को कोई वस्तु सदैव के लिए देना कर्ता जिसके लिए कार्य करता है अथवा जिसे कुछ देता है, उसे प्रकट करने वाला शब्द संप्रदान कारक कहलाता है संप्रदान कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ है।

जैसे- महाराज ने ब्राह्यणों के लिए भोजन बनाया।       माली ने पुजारी को पूजा के लिए फूल दिए।      अध्यापक ने परीक्षा के लिए जरूरी अभ्यास करवाए।

इन वाक्यों में महाराज, माली तथा अध्यापक कर्ता है, जिनके द्वारा ब्राह्यणों, पुजारी तथा परीक्षा आदि के लिए कार्य किया गया। अत: ब्राह्यणों, पुजारी तथा परीक्षा संप्रदान कारक है।

अपादान कारक किसे कहते है

अपादान का अर्थ है- जहाँ से कोई वस्तु या पदार्थ अलग हो जाए। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने की तुलना करने आदि भावो का ज्ञान होता है, उसे पादान कारक कहते है। अपादान कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘से’ है।

जैसे- बच्चे स्कुल से घर जा रहे है।                 श्री राम ने धनुष से बाण मारा।                   सीता गीता से अधिक सुंदर है।

इन वाक्यों में स्कुल, धनुष अपादान कारक है।  तीसरे वाक्य में गीता से तुलना के भाव का पता चलता है। अत: यह भी अपादान कारक है।

संबंध कारक किसे कहते है

संज्ञा के जिस रूप से दो संज्ञा अथवा सर्वनाम के परस्पर संबंध का पता चलता है, वह संबंध कारक कहलाता है। संबंधकारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘का/की’ है।

जैसे –  यह रमेश का स्कूल है।                     आज गाँधी जी का जन्मदिन है।                        राम की किताब फट गई।

इन वाक्यों में रमेश का, गाँधी जी का तथा राम की संबंध कारक है।

अधिकरण कारक किसे कहते है

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के दवारा क्रिया के आधार का पता चलता है, उसे अधिकरण कारक कहते है। अधिकरण कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘में’ तथा ‘पर’ है।

जैसे-  वृक्षों पर फल लगे है।                              टंकी छत पर रखी है।                           मम्मी रसोई में खाना बना रही है

इन वाक्यों में वृक्षों पर, छत पर तथा रसोई में अधिकरण कारक है, क्यकि ये सब लगे, रखी, खाना बना रही क्रियाओ के आधार है।

संबोधन कारक किसे कहते है

वाक्य में जिन संज्ञा शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने के लिए किया जाता है, उन्हें संबोधन कारक कहते है। संबोधन शब्दों के बाद संबोधन चिन्ह  ( ! ) लगाया जाता है। संबोधन कारक का परसर्ग /विभक्ति चिन्ह ‘हे’ अथवा ‘अरे’ है।

जैसे अरे! तुम्हे क्या हो गया                        हे! प्रभु हमारी रक्षा करना                      अरे! ये तुमने क्या कर दिया?

तो दोस्तों यहा इस पृष्ठ पर कारक किसे कहते है के बारे में बताया गया है ये आपको कैसा लगा comment करके हमें जरुर बताएं। अगर ये आपको पसंद आया हो तो इस पोस्ट को अपने friends के साथ social media में share जरूर करे। ताकि वे भी कारक किसे कहते है के बारे में जान सके। और नवीनतम अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहे।

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