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विराम चिन्ह क्या है और इसके कितने प्रकार है

विराम चिन्ह क्या है और इसके कितने प्रकार है विराम का अर्थ है – रुकना। जब हम अपने भावो को भाषा के द्वारा व्यक्त करते है , तो भाव की अभिव्यक्ति के बाद कुछ देर रुकते है, यह रुकना ही विराम कहलाता है। इस विराम को दर्शाने के लिए हम जिन चिन्हो का सहारा लेते है, उन्हें विराम चिन्ह कहते है।

विराम चिन्ह की परिभाषा

वह चिन्ह जो वक्ता के हाव-भाव प्रकट करने के लिए वाक्य में भिन्न-भिन्न स्थानों पर लगाए जाते है, विराम चिन्ह कहलाते है।

विराम चिन्ह के प्रकार

विराम चिन्ह कई प्रकार के होते है उनमे से कुछ इस प्रकार है

विराम चिन्ह के नाम विराम चिन्ह
पूर्ण विराम चिन्ह
अल्प विराम चिन्ह ,
अर्द्ध विराम चिन्ह ;
प्रश्नवाचक चिन्ह ?
विस्मयादिबोधक चिन्ह !
अवतरण या उदहारण चिन्ह “ ”
योजक या विभाजक चिन्ह
निर्देशक चिन्ह
अपूर्ण विराम चिन्ह :
विवरण चिन्ह :-
कोष्ठक चिन्ह () {}[]
संक्षेप सूचक/लाघव चिन्ह ० या .
पदलोप चिन्ह … या + x
समानता सूचक चिन्ह =
त्रुटिपूरक चिन्ह ^
दीर्घ उच्चारण चिन्ह S
पुनरुक्ति सूचक चिन्ह ,,
रेखांकन चिन्ह _

अल्प विराम (,)

अल्प विराम का अर्थ है – थोड़ा विराम अर्थात बहुत थोड़ी देर रुकना। इस चिन्ह का प्रयोग पूर्ण विराम से पहले कुछ समय के विराम के लिए किया जाता है; जैसे नरेश, योगेश, और उमेश पक्के मित्र है। राम बाजार से सेब, संतरे और अमरुद लाया।

पूर्ण विराम (।)

पूर्ण विराम का अर्थ है – पूरी तरह रुकना। इस विराम चिन्ह का प्रयोग वाक्य के पूरा होने पर किया जाता है; जैसे पक्षी उड़ रहे है।

अर्द्ध विराम (;)

अर्द्ध विराम का अर्थ है – आधा विराम। इसका चिन्ह (;) है। इसका प्रयोग पूर्ण विराम से कम तथा अल्प विराम से अधिक समय तक रुकने के लिए किया जाता है; जैसे मै बाजार जा रहा हूँ;

प्रश्नवाचक चिन्ह (?)

इस विराम चिन्ह का प्रयोग (?) का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में किया जाता है; जैसे आप कहाँ रहते है?

विस्मयादिबोधक चिह्न (!)

इस विराम चिन्ह (!) का प्रयोग हर्ष, सुख, दुःख, आश्चर्य, क्रोध व् घृणा आदि मनोभावों को प्रकट करने के लिए किया जाता है; जैसे हाय!, आह!, छि!, अरे!, शाबाश! छि! यहां कितनी गंदगी है।

योजक चिन्ह (–)

योजक चिन्ह दो शब्दों में संबंध जोड़ने का काम करता है। इसका प्रयोग शब्द-युग्मो, समान स्तर के शब्दों व् तुलनात्मक शब्दों को जोड़ने में किया जाता है; जैसे माता-पिता, भाई-बहन, रात-दिन आदि।

कोष्ठक चिन्ह ( ) { } [ ]

कोष्ठक शब्द का प्रयोग किसी भी वाक्य के बीच में आए शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है। जैसे धर्मराज (युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के संरक्षक थे।

रेखांकन चिन्ह ( _ )

किसी भी वाक्य में महत्त्वपूर्ण शब्द, पद, वाक्य को रेखांकित करने के लिए रेखांकन चिन्ह (_)का प्रयोग किया जाता है। जैसे कृष्ण ने बरगद के पेड़ के निचे उपदेश दिया था।

निर्देशक चिन्ह (―)

निर्देशक चिन्ह का प्रयोग विषय, विवाद, सम्बन्धी, प्रत्येक शीर्षक के आगे, उदाहरण के पश्चात, कथोपकथन के नाम के आगे किया जाता है। इसको रेखा चिन्ह के नाम से भी जाना जाता है। जैसे ― अनार, आम, संतरा।

दीर्घ उच्चारण चिन्ह (S)

जब वाक्य में किसी विशेष शब्द के उच्चारण में अन्य शब्दों की अपेक्षा अधिक समय लगता है तो वहां पर दीर्घ उच्चारण चिन्ह (S) का प्रयोग किया जाता है। जैसे – S || || | | | S || SS

लाघव चिन्ह (०)

किसी बड़े शब्द या प्रसिद्ध शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उस शब्द का पहला अक्षर लिखकर उसके आगे शून्य  लगा देते हैं। यह शून्य ही लाघव चिन्ह कहलाता है।

जैसे

  • डॉंक़्टर के लिए – डॉं
  • पंडित के लिए ― पं०
  • इंजिनियर के लिए ― इंजी०

अवतरण चिह्न या उद्धरण चिह्न ”… ”

किसी की कही हुई बात को उसी तरह प्रकट करने के लिए अवतरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे राम ने कहा, ”सत्य बोलना सबसे बड़ा धर्म है।”

विवरण चिन्ह ( :- )

विवरण चिन्ह (:-) का प्रयोग वाक्यांश में जानकारी, सूचना या निर्देश आदि को दर्शाने या विवरण देने के लिए किया जाता है।

जैसे आम के निम्न फायदे है:-

पदलोप चिन्ह ()

जब किसी अवतरण का पूरा उद्धरण न देकर कुछ अंश छोड़ दिया जाता है, तब लोप सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है;

जैसे― राम ने मोहन को गली दी

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह  (,,)

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह को अंग्रेजी में Repeat Pointer Symbol कहते हैं। पुनरुक्ति सूचक चिन्ह (,,) का प्रयोग लिखे किसी वाक्य के अंश को दोबारा लिखने से बचने के लिए किया जाता है।

जैसे — रामेश कुमार, कक्षा सातवीं
राजेश ,, ,, ,,

त्रुटिपूरक चिन्ह (^)

विस्मरण चिन्ह का प्रयोग लिखते समय किसी शब्द को भूल जाने पर किया जाता है ।

जैसे- मैं पिताजी के साथ ^ गया ।

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