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वाक्य किसे कहते हैं और वाक्य के भेद

वाक्य किसे कहते हैं और वाक्य के भेद जैसे वर्णो के सार्थक मेल से शब्द बनते है ठीक वैसे ही शब्दों के सार्थक मेल से वाक्य बनता है शब्दों के मेल से वाक्यों की रचना होती है; जैसे राम पाठशाला जाता है।

वाक्य की परिभाषा

अर्थ प्रकट करने वाले सार्थक शब्दों के व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते है।

वाक्य के कितने अंग होते है

वाक्य  के 2 अंग होते है।

  • उद्देश्य
  • विधेय

उद्देश्य- वाक्य में जिस विषय में कुछ कहा जाता है, वह वाक्य का उद्देश्य कहलाता है। उद्देश्य के अंतर्गत मुख्य रूप से वाक्य का कर्ता आता है; जैसे शोभा अच्छा गाना गाती है।

यहाँ शोभा वाक्य की कर्ता है। वाक्य में उसके विषय में ही कहा जा रहा है; अत: वह वाक्य का उद्देश्य है।

विधेय- वाक्य में उददेश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, वह वाक्य का विधेय कहलाता है। इसके अंतर्गत मुख्यत: क्रिया व् कर्म आते है; जैसे शोभा अच्छा गाना गाती है।

यहाँ उद्देश्य शोभा के विषय में कहा जा रहा है कि (वह) अच्छा गाना गाती है। अत: यह वाक्य का विधेय है।

वाक्य के भेद

वाक्य का वर्गीकरण दो आधारों पर किया जाता है –

  1. रचना के आधार पर
  2. अर्थ के आधार पर

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते है

  • सरल वाक्य
  • सयुक्त वाक्य
  • मिश्र वाक्य

सरल वाक्य- ये वे वाक्य होते है, जिनमे एक ही क्रिया का प्रयोग होता है जैसे – बच्चा खेल रहा है। (एक ही क्रिया)। घर में मरम्मत का काम चल रहा है। (एक ही क्रिया)।

सयुक्त वाक्य- ये वे वाक्य होते है जो योजक की सहायता से दो समान स्तर के वाक्यों को जोड़कर बनाए जाते है।  ये स्वतंत्र रूप से सरल वाक्यों के रूप में प्रयुक्त हो सकते है। जैसे 

राम पढ़ता है         परंतु          श्याम खेलता है

पहला वाक्य        योजक       दूसरा वाक्य

मिश्र वाक्य- ये वे वाक्य होते है जो एक उपवाक्य एवं एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों के आपस में किसी योजक की सहायता से जुड़ने से बनते है।  जैसे 

राम ने कहा            कि         वह दिल्ली जाएगा।

प्रधान वाक्य         योजक        आश्रित वाक्य

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

अर्थ के आधार पर आठ प्रकार के वाक्य होते हैं।

  1. विधानवाचक वाक्य
  2. प्रशनवाचक वाक्य
  3. आज्ञावाचक वाक्य
  4.  निषेधवाचक वाक्य
  5. इच्छावाचक वाक्य
  6. संदेहवाचक वाक्य
  7. संकेतवाचक वाक्य
  8. विस्म्यादिवाचक वाक्य

विधानवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थिति आदि के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त होती है, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है। इन्हे सरल वाक्य भी कहते है। इन वाक्यों को बोलने वाला सुनने वाले से किसी प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं करता है; जैसे – बच्चे फुटबाल खेल रहे है, मै दिल्ली जा रहा हूँ।

प्रशनवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी प्रकार का प्रश्न पूछा जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते है; जैसे तुम कहा रहते हो?, तुमने खाना क्यों नहीं खाया?

आज्ञावाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी को काम करने का आदेश या निर्देश दिया जाता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है। जैसे- सभी शांत हो जाइए, एक कप चाय बनाओ।

निषेधवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी काम के न होने या ना करने का भाव व्यक्त होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-  नल में पानी नहीं आ रहा,  वह अब दिल्ली में नहीं रहता।

इच्छावाचक वाक्य-  जिन वाक्यों में वक्त की इच्छा, आशीर्वाद व शुभकामना आदि के भाव का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते है। जैसे- भगवान आपका बला करे।

संदेहवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी कार्य के होने के विषय में संदेह का भाव प्रकट होता है; उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- शायद आज वर्षा हो।

संकेतवाचक वाक्य-जिन वाक्यों में किसी कार्य की पूर्णता किसी अन्य कार्य के पूर्ण होने की शर्त पर निर्भर करती है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- यदि मेहनत करोगे तो पास हो जाओगे।

विस्म्यादिवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में आशचर्य, खुशी, दुख, पीड़ा, घृणा आदि के भाव व्यक्त होते है, उन्हें विस्म्यादिवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- ओह! कितनी ठंडी रात है।

 

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