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वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण

वर्ण विचार : वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण किसी भी भाषा के लिए वर्ण अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिना वर्ण के किसी भी भाषा की कल्पना नहीं की जा सकती यह भाषा की मूल इकाई है। भाषा की ध्वनियों को लिखने हेतु उनके लिए कुछ लिपि (चिह्न) का प्रयोग किया जाता है। ध्वनियों के इन्हीँ लिपि (चिह्नों )को ‘वर्ण’ कहा जाता है। यह भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है।

वर्णमाला

उचित कर्म में लिखे गए वर्णो के समूह को वर्णमाला कहते है। सभी भाषाओं की अपनी अपनी वर्णमाला होती है। हिंदी वर्णमाला में मुख्या रूप से अ से ह तक 44 वर्ण है। अंगेजी वर्णमाला में 26 वर्ण है जिन्हे Letters कहते है।

हिंदी वर्णमाला को दो भागो में बाँटा जाता है स्वर और व्यंजन

स्वर- जिस वर्ण को बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोला जाता है उन्हें स्वर कहते हैं। हिंदी भाषा में 11 स्वर है- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ ।

स्वर के कितने भेद है

उच्चारण की दृष्टि से स्वर के तीन भेद है 1. ह्रस्व स्वर 2. दीर्घ स्वर 3. प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे कम समय लगता है उन्हें ह्रस्व स्वर कहते है। ये चार है- अ, इ, उ, ऋ

दीर्घ स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दो गुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है। इनकी संख्या 7 है – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

प्लुत स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में तिगुना समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते है। जैसे ओउम।

मात्रा किसे कहते है

व्यंजन के साथ लगने वाले स्वर के विशेष चिह्नन को मात्रा कहते है।  प्रत्येक स्वर के लिए एक निश्चित मात्रा होती है ‘अ’ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती ‘अ’ सभी व्यंजनों में पहले से ही मिला होता है।  बिना ‘अ’ के व्यंजन इस प्रकार लिखे जाते है क् ख् ग् आदि

उदाहरण

स्वरमात्राउदाहरण
कोई मात्रा नहीकोई मात्रा नही
क + ा = का
िक + ि = कि
क + ी = की
क + ु = कु
क + ू = कू
क + ृ = कृ
क + े = के
क + ै = कै
क + ो = को
क + ौ = कौ

व्यंजन किसे कहते है

व्यंजन वे वर्ण है जिनका उच्चारण करने के लिए हमे स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है। हिंदी भाषा में व्यंजनों की संख्या 33 है।

क, ख, ग, घ, ङ च, छ, ज, झ, ञ ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व श, ष, स, ह

व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

मुख्य रूप से व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं-

  1. स्पर्शी व्यंजन
  2. अन्तःस्थ व्यंजन
  3. उष्म / संघर्षी व्यंजन

स्पर्शी व्यंजन- जिन वर्णों के उच्चारण में मुख किसी विशेष स्थान जैसे- (कंठ, तालु, मूर्धा, दांत और होठ) आदि से स्पर्श होता है तो उसे स्पर्शी व्यंजन कहते हैं। यह क से म तक होते हैं, इनकी संख्या 25 होती है, जिन्हें 5 वर्गों में बाटा गया है।

क वर्ग- क ख ग घ ङ (कंठ)

च वर्ग- च छ ज झ ञ  (तालु)

ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण   (मूर्धा)

त वर्ग- त थ द ध न    (दांत)

प वर्ग- प फ ब भ म    (होठ)

अन्तःस्थ व्यंजन जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो उसे अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। यह 4 होते हैं- य र ल व

उष्म व्यंजन जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान पर घर्षण खा कर ऊष्मा पैदा करती है, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है। यह भी 4 होते हैं- श, ष, स, ह

संयुक्त व्यंजन जो व्यंजन दो व्यंजनों के मेल से बनते हैं,संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या 4 है – क्ष,त्र,ज्ञ,श्र ।

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